दुनिया का ये सबसे छोटा स्टेंट बच्चों को बचाएगा ऑपरेशन से
सेहतराग टीम
छोटे या नवजात बच्चों की एक खतरनाक समस्या को दूर करने की दिशा में वैज्ञानिकों को बहुत बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा स्टेंट विकसित किया है जो वर्तमान समय में उपलब्ध आम स्टेंट के 40वें भाग के बराबर है। इस स्टेंट का इस्तेमाल छोटे बच्चों की मूत्र नली में आई सिकुड़न या किसी धमनी को बिना ऑपरेशन के खोलने में किया जा सकेगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी मेडिकल स्टेंट या छल्ले का इस्तेमाल हृदय की बंद पड़ी धमनियों को चौड़ा करने कर उनका इलाज करने में किया जाता है।
दूसरी ओर किसी गर्भस्थ भ्रूण की मूत्र नली हृदय धमनियों के मुकाबले बहुत संकरी होती है। हर एक हजार में एक बच्चे को मूत्रनली में सिकुड़न की शिकायत होती है और कई बार यह परेशानी गर्भस्थ शिशुओं में भी देखी गई है।
ऐसे में बच्चे के मूत्राशय में मूत्र के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से रोकने के लिए शिशु रोग सर्जन आमतौर पर ऑपरेशन कर मूत्रनली के प्रभावित हिस्से को काट कर अलग निकाल देते हैं और बाकी हिस्सों को फिर से जोड़ देते हैं। मगर अब इस प्रक्रिया से छुटकारा मिल सकेगा।
स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख स्थित फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के बनाए गए स्टेंट से बच्चों को ऑपरेशन की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। जर्नल एडवांस्ड मटेरियल्ज टेक्नोलॉजिस में प्रकाशित शोध के मुताबिक गर्भस्थ शिशु की धमनी या नली में आई सिकुड़न को दूर करने के लिए स्टेंट लगाने से गुर्दे को कम नुकसान पहुंचेगा।
ज्यूरिख स्थित आर्गुआ कैटोंनल हॉस्पिटल एप्रोच्ड द मल्टी स्केल रोबोटिक लैब के गैस्टन डी बर्नाडिज ने कहा कि पारंपरिक रूप से इतने छोटे आकार का स्टेंट बनाना संभव नहीं था। उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं ने नई तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से 100 माइक्रोमीटर व्यास के स्टेंट बनाए जा सकते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता कार्मेला डी मार्को ने कहा, ‘हमने दुनिया का सबसे छोटा स्टेंट प्रिंट किया है, जो अब तक बने स्टेंट से 40 गुना छोटा है। उन्होंने बताया कि स्टेंट का निर्माण तीन आयामी प्रिंटिग तकनीक के आधार पर होता है। हालांकि, बाजार में इस स्टेंट को उतारने से पहले अभी कई परीक्षण किए जाने बाकी है।
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